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अधूरा प्यार ..

आज दिनांक 10.2.23. काव
ये प्रतियोगिता वास्ते स्वच्छन्द विषय पर कविता

अधूरा प्यार ..
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रुकते ही नहीं मेरे आंसू ये मेरे दिल की मजबूरी है,
मेरे दिल ने तुझसे प्यार किया और प्यार-कथा वो अधूरी है।

क्यों रब ने मिलाया था तुझसे  और मुझको क्यों  जुदाई दी,
सपनो का महल बना कर के फ़िर क्यों मुझको तन्हाई दी।

ख़ता तो हुयी है मुझसे न मुझे तुझ पर  एतबार करना था,
अनजान मुसाफ़िर के मुझको न इतना नजदीक जाना था।

अब दिल की हालत क्या कहिए दिन-रात मचलता रहता है,
छोटे से बच्चे के समान चन्दा की चाहत रखता है।

समझाया करती हूं इसको पर ये नौ नौ आंसू रो देता है,
मेरी आंखें झर झर झरती हैं,मेरा अंग अंग तब रोता है।

 प्यार नही़ आत्मिक है अब ये तो केवल आकर्षण हैं,
आंखों की अपावन भूख है ये, इन्द्रियों का संरक्षण है।

अधूरे प्यार के कष्ट को कोई दिल कैंसे कैंसे सह पाता है,
न जीता है न मरता है बस अंसुवन नीर बहाता है।

आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़

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6 Comments

Punam verma

11-Feb-2023 09:05 AM

Very nice

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Abhinav ji

11-Feb-2023 07:50 AM

Very nice 👍

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बहुत ही सुंदर सृजन

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